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जयप्रकाश विश्वविद्यालय में महापंडित राहुल सांकृत्यायन की जयंती समारोहपूर्वक मनाई गई। विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर हिंदी विभाग के तत्वावधान में आयोजित इस समारोह में वक्ताओं ने उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को याद किया और उनके पदचिह्नों पर चलने का संकल्प व्यक्त किया गया। राहुल सांकृत्यायन के छपरा में प्रवास के साथ उनके सारण से जुड़ाव को भी वक्ताओं ने स्पष्ट किया।इससे पहले समारोह का विधिवत उद्घाटन कुलसचिव प्रो. रणजीत कुमार, विश्वविद्यालय राजनीतिशास्त्र विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ लालबाबू यादव, हिंदी विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. सुधा बाला तथा विश्वविद्यालय हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. अनिता ने दीप प्रज्वलन कर संयुक्त रूप से किया। विषय प्रवर्तन डॉ सिद्धार्थ शंकर ने किया, जबकि आगत अतिथियों का स्वागत डॉ अनिता ने किया।समारोह को संबोधित करते हुए डॉ लालबाबू यादव ने राहुल सांकृत्यायन द्वारा लिखित पुस्तकों को उद्धृत करते हुए उनके विचारों से सरल शब्दों में रूबरू कराया। उन्होंने कहा कि राहुल सांकृत्यायन छपरा के नगरपालिका चौक के पास रहा करते थे। वे राजेंद्र कॉलेज के शासी निकाय के सदस्य भी रहे। उन्हीं के कार्यकाल में राजेंद्र कॉलेज में लब्धप्रतिष्ठ विद्वान मनोरंजन प्रसाद सिन्हा को राजेन्द्र कॉलेज का प्राचार्य नियुक्त किया गया था। उन्होंने उनकी विचारधारा को स्पष्ट करते हुए कहा कि राहुल सांकृत्यायन पहले सनातनी ब्राह्मण थे, फिर उनका झुकाव वामपंथ की ओर हुआ, उसके बाद उन्हें साम्यवाद पसंद आने लगा। सारण जिले के परसागढ़ में उन्होंने मठ में भी काम किया। समारोह को संबोधित करते हुए कुलसचिव प्रो रणजीत कुमार ने राहुल सांकृत्यायन के विचारों को आज भी प्रासंगिक बताते हुए कहा कि वे एक भविष्यद्रष्टा भी थे। उन्हें कई भाषाओं का ज्ञान था तथा समाज की भरपूर समझ थी जिस कारण उन्होंने समाज की विसंगतियों पर भी कई कालजयी रचनाएं लिखीं।इस अवसर पर आयोजित निबंध लेखन प्रतियोगिता में प्रथम तीन स्थानों पर आनेवाले प्रतिभागियों को कुलसचिव प्रो. रणजीत कुमार ने पुरस्कृत किया।इस अवसर पर साइंस डीन प्रो. अशोक कुमार, सोशल साइंस डीन डॉ अनिल कुमार सिंह, विश्वविद्यालय इतिहास विभाग के डॉ सुधीर कुमार सिंह, डॉ सैयद रजा, हिंदी विभाग के डॉ अजय कुमार, राजनीति शास्त्र विभाग के डॉ विभु कुमार, अंग्रेजी विभाग के डॉ उदयशंकर ओझा सहित अन्य विभागों के प्राध्यापक उपस्थित थे।