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छपरा नगर निगम में चुनाव के दौरान आनन फानन में कचरा प्रबंधन के लिए टेंडर निकाला गया और नगर आयुक्त के द्वारा उनके मनपसंद या कहें तो उनके द्वारा ले आए कंपनी को यह कार्य दे दिया गया। जिसका रेट काफी ज्यादा है वर्क आर्डर देखने के बाद ऐसा प्रतीत हुआ कि यह विशेष लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से इस कंपनी को टेंडर दिया गया। इस कार्य पर रोक लगाने हेतु निगम के 10 पार्षदों ने लिखित रूप से आवेदन महापौर कार्यालय में दिया कि इसमें भ्रष्टाचार होने की संभावना साफ-साफ झलक रही है तथा तत्कालीन प्रभारी महापौर के द्वारा भी आवेदन दिया गया, जिसमें यह बताया गया कि बिना उनके राय विचार के एवं बिना उनको टेंडर प्रक्रिया में सम्मिलित किए चोरी चुपके से यह टेंडर निकालकर कार्य आदेश दे दिया गया। महापौर के द्वारा कचरा प्रबंधन कार्य को रोक लगाने के तथा जांच कर पुनः निविदा निकालने के लिए आदेश दिया गया था किंतु महापौर के आदेश का अवमानना करते हुए नगर आयुक्त अपने मर्जी से कार्य करते रहे हैं महापौर ने बताया कि हम छपरा नगर निगम के जनता के पैसा का दुरुपयोग कर बंटाधार नहीं करने देंगे, इसके लिए मैं नगर आयुक्त की शिकायत जिला अधिकारी एवं नगर आवास एवं विकास मंत्री को करूंगा। महापौर ने बताया कि कचरा प्रबंधन के कार्य में निगम के कई अधिकारी एवं कर्मचारी भी सम्मिलित हैं जिन पर पूर्व में ही भ्रष्टाचार का आरोप लगा हुआ है ऐसे में भ्रष्टाचार की दस्तक निगम में जोड़ों सुनाई पड़ रही है जो बर्दाश्त नहीं है।