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• प्रशिक्षित डॉक्टरों और आधुनिक उपकरणों की बदौलत 847 नवजात हुए पूरी तरह स्वस्थ
• निजी अस्पतालों से अधिक भरोसा अब सरकारी एसएनसीयू पर
• कमजोर, कम वजन और गंभीर हालत में पहुंचे बच्चों को मिला विशेष इलाज
छपरा। कभी स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर लोगों के मन में शंका और अविश्वास था, लेकिन अब तस्वीर बदल चुकी है। सरकारी अस्पतालों में मिलने वाली आधुनिक सुविधाएं, प्रशिक्षित डॉक्टरों की टीम और संवेदनशील देखभाल ने लोगों का भरोसा फिर से जीत लिया है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है छपरा सदर अस्पताल का स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू), जिसने अप्रैल 2025 से लेकर अक्टूबर 2025 तक 847 नवजात शिशुओं को नया जीवन दिया है। कमजोर और गंभीर हालत में पहुंचे इन बच्चों को एसएनसीयू की विशेषज्ञ देखभाल ने मौत के मुंह से वापस ला खड़ा किया।
यह यूनिट न सिर्फ सरकारी अस्पतालों में जन्मे बच्चों के लिए वरदान साबित हुई है, बल्कि निजी अस्पतालों से रेफर होकर आने वाले नवजातों के लिए भी जीवनदायी केंद्र बन चुकी है। अब माता-पिता भरोसे के साथ अपने नवजातों को सदर अस्पताल के एसएनसीयू में भर्ती करा रहे हैं, क्योंकि यहां उन्हें बेहतर उपचार, मॉनिटरिंग और चौबीसों घंटे विशेषज्ञ देखभाल मिल रही है।
847 नवजातों को मिला नया जीवन
सदर अस्पताल के अस्पताल प्रबंधक राजेश्वर प्रसाद ने बताया कि अप्रैल से अक्टूबर 2025 तक कुल 847 नवजात शिशुओं को एसएनसीयू में भर्ती किया गया, जिनमें 847 शिशुओं को सफलतापूर्वक स्वस्थ कर घर भेजा गया। प्रशिक्षित स्टाफ, अनुभवी डॉक्टरों और अत्याधुनिक उपकरणों की मदद से यह संभव हो सका है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ा के अनुसार सदर अस्पताल में जन्में 222 शिशु और 119 बच्ची का इलाज हुआ है। वहीं बाहर के अस्पतालों में जन्में 369 बच्चें और 240 बच्ची भर्ती हुई, वहीं आशा कार्यकर्ता द्वारा रेफर 135 नवजात का सफल इलाज हुआ है। एसएनसीयू की सफलता ने यह साबित कर दिया है कि सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं अब पहले जैसी नहीं रहीं।
पहले 28 दिन होते हैं जीवन के लिए सबसे जोखिम भरे
नवजात मृत्यु के अधिकतर मामले जन्म के पहले 28 दिनों में होते हैं। इसी अवधि में संक्रमण, सांस की तकलीफ, वजन की कमी और अन्य जटिलताओं का जोखिम अधिक रहता है। डॉक्टर बताते हैं कि समय पर पहचान और तत्काल उपचार से अधिकांश नवजातों को बचाया जा सकता है। इसलिए यदि बच्चा सुस्त दिखे, दूध न पिए या तेज सांस ले—तो उसे तुरंत अस्पताल लाना जरूरी है।
क्या है एसएनसीयू और किन बच्चों को मिलती है सुविधा?
सदर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. संदीप यादव बताते हैं कि एसएनसीयू विशेष रूप से ऐसे कमजोर नवजातों के लिए बनाया गया है, जो समय से पहले पैदा होते हैं या जिनका जन्म वजन 1800 ग्राम से कम होता है।
एसएनसीयू में जिन स्थितियों का इलाज किया जाता है। उनमें शामिल हैं
• पेरीनेंटल एस्फिक्सिया
• न्यूबॉर्न जॉन्डिस
• सांस की तकलीफ
• बार-बार फिट आना
• दूध न पीना
• शुगर की समस्या
• डायबिटिक मदर का बच्चा
• डायरिया
• और 24 अन्य गंभीर अवस्थाएं
क्या है सुविधा:
• बेहतर उपकरण
• प्रशिक्षित नर्स
• बच्चों के विशेषज्ञ डॉक्टर
• 24×7 मॉनिटरिंग
• और साफ-सुथरा, सुरक्षित माहौल
सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने कहा कि सदर अस्पताल का एसएनसीयू सिर्फ एक यूनिट नहीं, बल्कि उन परिवारों की उम्मीद है जिनके घर में जन्मा नन्हा जीवन संकट में होता है। 847 नवजातों को मिला जीवनदान इस बात का प्रमाण है कि सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं अब मजबूती के साथ लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रही हैं।















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