जेपी यूनिवर्सिटी में 'शोध के विविध सोपान' विषयक कार्यशाला प्रारंभ।

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- दीप प्रज्वलित कर कुलपति ने किया कार्यशाला का शुभारंभ।

छपरा ।  शोध का पहला सोपान ध्यानस्थ होना है। जबतक अन्य विषयों की जानकारी न हो तबतक शोध करना घने जंगलों में दौड़ लगाने के समान है। जेपी यूनिवर्सिटी में 'शोध के विविध सोपान' विषयक कार्यशाला में बड़ी संख्या में उपस्थित शोधार्थियों को संबोधित करते हुए शुक्रवार  को कुलपति प्रो. परमेंद्र कुमार बाजपेई ने उक्त बातें कहीं। 

कुलपति  ने इस अवसर पर शोध के विभिन्न सोपानों पर चर्चा करते हुए शब्दों एवं वाक्यों के प्रयोग के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कंटेक्ष्चुअल अंडरस्टैंडिंग पर प्रकाश डाला। साथ ही दर्शनशास्त्र के न्याय, सिद्धांत आदि की चर्चा करते हुए शोधार्थियों को विचार-विर्मश व तर्क-वितर्क के लिए प्रेरित किया।

इससे पहले  कुलपति  ने दीप प्रज्वलित कर कार्यशाला का विधिवत उद्घाटन किया। उसके बाद उपस्थित शोधार्थियों और अन्य छात्र-छात्राओं ने एक स्वर में सरस्वती वंदना की।  स्नातकोत्तर हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. अनीता ने स्वागत उद्बोधन किया।

दूसरे सत्र में संदर्भ लेखन के तरीकों पर स्नातकोत्तर उर्दू विभाग के प्रो. अरशद मसूद हाशमी ने प्रकाश डाला। उन्होंने शोध में संदर्भ की विविध विधियों की जानकारी दी। वहीं तृतीय सत्र में स्नातकोत्तर हिंदी विभाग की पूर्व अध्यक्ष प्रो. सुधा बाला ने शोधकार्य में नैतिकता पर प्रकाश डाला।