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• फाइलेरिया उन्मूलन की दिशा में सारण स्वास्थ्य विभाग की अहम पहल
• डाटा अपलोडिंग के लिए वीबीडीएस कर्मियों को दिया गया प्रशिक्षण
• अब रियल टाइम में संभव होगी रोग की निगरानी और इलाज की रणनीति
छपरा। फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम को और अधिक सुदृढ़ व तकनीकी रूप से उन्नत बनाने के उद्देश्य से सारण जिले में अब मरीजों की जानकारी ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज की जाएगी। इसके लिए भारत सरकार द्वारा विकसित इंटीग्रेटेड हेल्थ इंफॉर्मेशन प्लेटफार्म (आईएचआईपी) का उपयोग किया जाएगा। इस पोर्टल पर जिले के करीब 17 हजार फाइलेरिया पीड़ितों की जानकारी अपलोड की जाएगी, जिससे रोग नियंत्रण एवं उपचार की निगरानी रियल टाइम में संभव हो सकेगी।
इस उद्देश्य को लेकर जिला मलेरिया कार्यालय, छपरा में एक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने की, जिसमें जिला वेक्टर रोग सलाहकार सुधीर कुमार तथा पिरामल स्वास्थ्य संस्था के सीनियर प्रोग्राम लीड चंदन कुमार द्वारा जिले के सभी वेक्टर बॉर्न डिज़ीज सुपरवाइजर (वीबीडीएस) को आईएचआईपी पोर्टल पर डाटा अपलोड करने की विस्तृत जानकारी दी गई। इस मौके पर जिला वेक्टर रोग सलाहकार सुधीर कुमार, वीडीसीओ सतीश कुमार, वीडीसीओ सुमन कुमारी, वीडीसीओ मीनाक्षी, पिरामल से चंदन कुमार, पंकज कुमार, तेज नारायण, सीफार के डीपीसी गनपत आर्यन, पीए कृष्णा सिंह और सभी वीबीडीएस मौजूद थे।
मिशन मोड में होगा डेटा अपलोड
डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने प्रशिक्षण के दौरान बताया कि, “फाइलेरिया उन्मूलन के लिए केस आधारित निगरानी बेहद जरूरी है। आईएचआईपी पोर्टल के माध्यम से अब प्रत्येक मरीज का रिकॉर्ड ऑनलाइन दर्ज किया जाएगा, जिससे रोग की प्रगति और उपचार दोनों पर बारीकी से नजर रखी जा सकेगी। यह कार्य मिशन मोड में होना चाहिए ताकि शत-प्रतिशत मरीजों का डाटा समय पर अपलोड हो सके।”
आईएचआईपी: स्वास्थ्य निगरानी का नया युग
आईएचआईपी पोर्टल भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी डिजिटल स्वास्थ्य पहल है, जिसका उद्देश्य देशभर में सार्वजनिक स्वास्थ्य निगरानी प्रणाली को एकीकृत करना है। यह प्रणाली विभिन्न रोगों के डाटा को एक जगह संग्रह कर उन्हें रियल टाइम में प्रस्तुत करती है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और नीतिगत निर्णय लेने में मदद मिलती है।
आईएचआईपी से जुड़ने के बाद अब फाइलेरिया जैसे जटिल और लंबे इलाज वाले रोग की निगरानी भी डिजिटल रूप से संभव हो पाएगी। इससे विभाग को यह जानने में भी सुविधा होगी कि कौन मरीज किस क्षेत्र से है, उसकी वर्तमान स्थिति क्या है और कौन-कौन सी दवाएं दी गई हैं।
फाइलेरिया के खिलाफ अभियान को मिलेगी नयी गति
विशेषज्ञों का मानना है कि आईएचआईपी प्लेटफार्म पर डाटा अपलोड होने से फाइलेरिया उन्मूलन अभियान को नयी दिशा मिलेगी। इससे न सिर्फ योजनाओं का सटीक मूल्यांकन संभव होगा, बल्कि क्षेत्रवार रणनीति बनाकर रोग के खात्मे की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकेंगे।
डॉ. दिलीप ने कहा कि अब तक जिले में लगभग 17 हजार फाइलेरिया रोगियों की पहचान की जा चुकी है, जिनकी जानकारी एकत्र कर पोर्टल पर दर्ज की जाएगी। “हमारा लक्ष्य है कि कोई भी मरीज रिकॉर्ड से बाहर न रहे और हर व्यक्ति को समय पर उपचार मिल सके।”
क्या है फाइलेरिया:
फाइलेरिया एक परजीवी जनित रोग है, जो मच्छर के काटने से शरीर में सूजन, दर्द और दिव्यांगता जैसी गंभीर स्थिति पैदा कर सकता है। यह रोग लंबे समय तक इलाज की मांग करता है और जागरूकता, समय पर जांच और समुचित दवा वितरण से ही इसे नियंत्रित किया जा सकता है।