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- गर्भवती माताएं और शिशुओं को गंभीर बीमारियों के प्रभाव से सुरक्षित रखने में टीकाकरण का महत्वपूर्ण योगदान।
- सदर अस्पताल सहित जिले के सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में टीकाकरण का बेहतर इंतजाम: सिविल सर्जन।
- जन्मजात बच्चों को नियमित रूप के अंतराल पर स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा कराया जाता है टीकाकृत: डीआईओ।
छपरा, 30 अप्रैल टीकों की स्वीकार्यता को बढ़ाते हुए शत प्रतिशत टीकाकरण का लक्ष्य को पूरा कर इसकी उपयोगिता के बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से अप्रैल महीने के अंतिम सप्ताह यानी 24 से 30 अप्रैल तक प्रत्येक वर्ष विश्व स्तर पर टीकाकरण सप्ताह आयोजित किया जाता है। सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि सदर अस्पताल में प्रशिक्षित एएनएम राशि कुमारी, संध्या कुमारी, सीमा कुमारी और निर्मला कुमारी के द्वारा प्रतिदिन सुबह के 9 से 4 बजे शाम तक टीकाकरण किया जाता है। क्योंकि गर्भवती माताएं और उनके होने वाले शिशुओं को कई प्रकार की गंभीर बीमारियों के प्रभाव से मुक्त रखने में आज रोग रोधी टीकाकरण का महत्वपूर्ण योगदान है। क्योंकि इन टीकों की वजह से ही कभी आतंक का प्रयाय माने जाने वाले चेचक, खसरा, पोलियो, हैजा सहित कई अन्य जानलेवा बीमारियो के प्रभाव से आज हम खुद को पूरी तरह महफूज हैं। हालांकि बीमारियो को रोकने के लिए विभिन्न प्रकार के टीकों का आविष्कार मानवता के इतिहास की सबसे बड़ी उपलब्धियों में शुमार है। गर्भवती महिलाएं सहित नवजात शिशुओं को कई प्रकार की गंभीर बीमारियां संपूर्ण टीकाकरण कराने से प्रत्येक वर्ष लाखों लोगों का जान बचाई जाती है।
- सदर अस्पताल सहित जिले के सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में टीकाकरण का बेहतर इंतजाम: सिविल सर्जन।
सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि सदर अस्पताल सहित जिले के सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में टीकाकरण का बेहतर इंतज़ाम किया गया है। ताकि बच्चों को संपूर्ण टीकाकरण करा 12 तरह की बीमारियों से बचाया जा सके। जो सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में सभी प्रकार की टीके प्रशिक्षित और अनुभवी स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा पूरी तरह से निःशुल्क दिया जाता हैं। ताकि बच्चों को विभिन्न बीमारियों से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में टीकाकरण कारगर साबित हो सकें।हैं। जिले के सभी प्रखंड मुख्यालय स्थित सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अलावा हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर (एचडब्ल्यूसी) में टीकाकरण का उत्तम प्रबंध रहता है। उन्होंने यह भी बताया की जिले के सभी प्रखंडों में टीकाकरण से वंचित बच्चों को शत प्रतिशत टीकाकरण को लेकर एएनएम, आशा कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी सेविकाओं के द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जाता है।
- जन्मजात बच्चों को नियमित रूप के अंतराल पर स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा कराया जाता है टीकाकृत: डीआईओ।
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ चंदेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि नवजात शिशुओं के जन्म के बाद बीसीजी, ओरल पोलियो और हेपेटाइटस बी का टीका लगाया जाता है। वहीं जब बच्चे 06 सप्ताह की उम्र के होते हैं, तो उन्हें डीपीटी- 1, आइपीवी- 1, ओपीवी- 1, रोटावायरस- 1, न्यूमोकॉकल कॉन्जुगेट टीकाकरण किया जाता है। लेकिन 10 सप्ताह पूरे होने के बाद डीपीटी- 2, ओपीवी- 2 व रोटावायरस- 2 दिया जाता है। जबकि 14 सप्ताह के बाद डीपीटी- 3, ओपीवी- 3, रोटावायरस- 3, आइपीवी- 2 और पीसीवी- 2 दिया जाता है। वहीं 09 से 12 महीने के अंदर जेई - 1, आईपीवी का तीसरा टीका साथ ही विटामिन ए की पहली खुराक दी जाती है। खसरा और रुबेला- 1 दिया जाता है। इसी तरह 16 से 24 माह पर खसरा- 2, डीपीटी बूस्टर- 1, ओपीवी बूस्टर दिया जाता है। पांच से छह साल पर डीपीटी बूस्टर- 2 टीके लगाए जाते है। दस तथा 16 वर्ष के बाद टेटनस एंड एडल्ट डिप्थीरिया टीकाकरण दिया जाता है।
- जिले में 89 प्रतिशत कराया गया संपूर्ण टीकाकरण: डीआईओ।
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ चंदेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि अप्रैल 2023 से मार्च 2024 तक 89 प्रतिशत संपूर्ण टीकाकरण कराया जा चुका है। जिसमें टीबी बीमारी से बचाव को लेकर 108173 बीसीजी के टीके लगाने के लिए लक्षित किया गया था लेकिन 86847 यानी 80 प्रतिशत लक्ष्य को पूरा किया गया है। इसी तरह 93276 पेंटावेलेंट वैक्सीन, डिप्थीरिया, पर्टुसिस, टेटनस, हेपेटाइटिस बी और एचआईबी, 88204 पीसीवी वैक्सीन, 97567 एमआर वैक्सीन, 95783 जेई वैक्सीन तो वही पोलियों से बचाव को लेकर 92934 जबकि रोटा वायरस के 91247 बच्चों को टीकाकृत किया गया है। टीकाकरण को लेकर सरकारी चिकित्सा संस्थान लोगों के सर्वात्तम विकल्प साबित हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए प्रत्येक आंगनबाड़ी सेंटर पर महीने में एक दिन बुधवार या शुक्रवार को आशा कार्यकर्ता और सेविका के सहयोग से एएनएम द्वारा टीकाकरण किया जाता है।