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- योग के लिए मन को शांत एवं स्वच्छ वातावरण का होना जरूरी: सिविल सर्जन।
- तन व मन को पूरी तरह से स्वस्थ्य रखने के लिए नियमित रूप से करें योगाभ्यास: एनसीडीओ।
- शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ्य रहन है तो करें योग: डीपीएम।
- बढ़ते तनाव या लाइफस्टाइल से पैदा होने वाली विभिन्न समस्याओं को कम करने में योगाभ्यास कारगर: डीपीसी।
सारण। छपरा, 21 जून नियमित रूप से योग अपना कर अवसाद और तनाव को भी दूर किया जा सकता है। जिसको लेकर जिले के अनुमंडलीय अस्पताल सोनपुर और मढ़ौरा, रेफ़रल अस्पताल बनियापुर और तरैया के अलावा सभी सीएचसी, पीएचसी, एपीएचसी के चिकित्सा पदाधिकारियों के नेतृत्व में जबकि हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा 10 वां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि योग एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ जोड़ना या एकीकृत करना होता है। क्योंकि योग आध्यात्मिक, शारीरिक और मानसिक प्रथाओं का एक समूह है, जिसकी उत्पत्ति प्राचीन भारत में हुई थी। योग में शारीरिक व्यायाम, शारीरिक मुद्रा, ध्यान, सांस लेने की तकनीकों और व्यायाम को जोड़ा जाता है। योगाभ्यास के दौरान विलोम- अनुलोम प्राणायाम करने से फेफड़ों को मजबूती मिलती है। तो वहीं दूसरी तरफ श्वसन से संबंधित कई अन्य प्रकार की बीमारियां यानी कि टीबी जैसी बीमारियों को दूर करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण अभ्यास माना जाता है। लेकिन योग के लिए शांत एवं स्वच्छ वातावरण होना चाहिए।
- तन व मन को पूरी तरह से स्वस्थ्य रखने के लिए नियमित रूप से करें योगाभ्यास: एनसीडीओ।
जिला गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ भूपेंद्र कुमार का कहना है कि योग करने से हर कोई शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक रूप स्वस्थ्य रहता है। साथ ही वर्तमान समय में सबसे ज़्यादा तनाव, कमर दर्द, सर दर्द, अनिंद्रा, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, साइटिका, गठिया रोग आदि से मुक्ति मिलती है हैं। प्रतिदिन सुबह या शाम को नियमित रूप से योगाभ्यास करने मात्र से हाथ में कंपन्न, पाचन क्रिया, बाल का झड़ना, अवसाद, तंत्रिका तंत्र को स्वस्थ्य एवं रोग मुक्त, मस्तिष्क को शांत व सहन करने के साथ ही याददाश्त को भी बढ़ाता है। हम सभी को प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट या अधिकतम एक घंटे तक नियमित रूप से योगाभ्यास करना चाहिए। जब तक तन व मन पूरी तरह से स्वस्थ्य नहीं रहेगा तब तक स्वास्थ्य ही धन है की परिकल्पना को पूरा नहीं किया जा सकता है।
- शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ्य रहन है तो करें योग: डीपीएम।
जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम अरविंद कुमार ने बताया कि दरअसल योगाभ्यास से फेफड़ों में रक्तसंचार बढ़ता है। वहीं प्राणायाम श्वसन तंत्र को मजबूत बनाने के लिए एक विशेष योगाभ्यास है। श्वसन क्रिया के दौरान गहरी सांस लेते हुए वायु को अंदर खींचते हैं। सांस को अधिक से अधिक समय तक रोके रखते और अंत में धीरे- धीरे सांस छोड़ा जाता हैं। इससे शरीर को आवश्यक मात्रा में ऑक्सीजन प्राप्त होता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों एवं योगाचार्य का मानना है कि योग से शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक रूप से हर व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ्य रह सकता है। योग की प्रमुख क्रियाओं में सूर्य नमस्कार, प्राणायाम, मंडूकासन, शशकासन, ताड़ासन, तिर्यक ताड़ासन, उष्ट्रासन, योगमुद्रासन, गोमुखासन, भुजंगासन, पादहस्तासन, पवनमुक्तासन, मर्कटासन, वक्रासन, कटिचक्रासन, भुजंगासन आदि मुख्य रूप से शामिल किये गये हैं जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माने गए हैं।
- बढ़ते तनाव या लाइफस्टाइल से पैदा होने वाली विभिन्न समस्याओं को कम करने में योगाभ्यास कारगर: डीपीसी।
जिला योजना समन्वयक (डीपीसी) रमेश चंद्र कुमार ने बताया कि शरीर और मन की शांति के लिए योग बहुत ही जरूरी विकल्प के रूप में सामने आया है। केवल योगाभ्यास करने से आपका शरीर पूरी तरह से स्वस्थ रहता है। क्योंकि योग से मानव जीवन पर सकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है। प्रतिदिन योग करने से शारीरिक और मानसिक बीमारियां दूर होती है। बढ़ते तनाव को कम करने और लाइफस्टाइल से पैदा होने वाली विभिन्न समस्याओं को योगाभ्यास करने से दूर किया जा सकता है। योग करने से शरीर को मजबूती मिलती है। योग से शारीरिक और मानसिक ऊर्जा में वृद्धि होती है। योग करने वाले लोग फिट होने के साथ ही इम्युनिटी के मामले में भी दूसरे लोगों से बेहतर होते हैं। इसी को देखते हुए लोगों ने स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए योग करना शुरू किया है।