लहलदापुर में 100 तो मशरख के 87 प्रतिशत टीबी मरीजों ने सहायता के लिए जताई सहमति: डीपीसी

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- बिहार में सबसे अधिक सारण के 93 प्रतिशत टीबी मरीजों ने सहायता लेने में जताई अपनी सहमति जबकि सबसे कम समस्तीपुर के 24 प्रतिशत टीबी रोगियों ने जताई सहमति।

- जिलेवासियों से यक्ष्मा विभाग ने किया अपील: 

छपरा, 11 जून भारत सरकार द्वारा वर्ष 2025 तक टीबी जैसी बीमारी को जड़ से मिटाने का लक्ष्य रखा गया है। राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को लेकर विभागीय अधिकारियों द्वारा राज्य और जिला स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जाता है। ताकि अधिक से अधिक लोगों को टीबी जैसी बीमारी की जानकारी हो। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ रत्नेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि  राज्य में सबसे अधिक यानी 93 प्रतिशत सारण के टीबी मरीजों ने किसी भी प्रकार की सहायता लेने के लिए अपनी सहमति जताई है। क्योंकि जिले में 3327 टीबी मरीजों का इलाज़ चल रहा है, जिसमें 3097 यानी 93 प्रतिशत टीबी रोगियों ने सरकारी सहायता, गोद लेने या अन्य किसी भी प्रकार का सहयोग लेने में अपनी सहमति दी है। जबकि समस्तीपुर में सबसे कम 24 प्रतिशत टीबी रोगियों ने आर्थिक या अन्य प्रकार से सहयोग लेने में अपनी सहमति दी है। सदर अस्पताल सहित कई अन्य स्वास्थ्य संस्थानों में टीबी की जांच व दवा निःशुल्क उपलब्ध है। इसके अलावा अन्य सहयोगी संस्थाओं द्वारा टीबी प्रीवेंटिव ट्रीटमेंट (टीपीटी) के लिए कार्य किया जा रहा है। वही टीबी मरीजों को समाज के प्रबुद्ध वर्ग के लोगों और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओ द्वारा निक्षय मित्र बनाए जाने को लेकर भी जागरूक किया जाता है।

- सबसे अधिक लहलदापुर तो सबसे कम मशरख के टीबी मरीजों ने सहायता लेने के लिए जताई सहमति: डीपीसी 

यक्ष्मा विभाग के जिला योजना समन्यवक हिमांशु शेखर ने बताया कि सारण जिले की बात करें तो लहलादपुर और तरैया प्रखंड के टीबी मरीजों ने शत प्रतिशत सहायता लेने में अपनी सहमति दी है। इसी प्रकार सबसे कम दरियापुर में 120 टीबी मरीजों में से 105 यानी 87.5 प्रतिशत टीबी मरीजों ने गोद लेने या अन्य प्रकार की सहायता लेने में अपनी सहमति जताई है। सारण जिले में 3327 टीबी रोगियों का इलाज़ किया जा रहा है। जबकि डीटीसी यानी सदर अस्पताल में सबसे अधिक 1267, गड़खा में 202, मढ़ौरा में 172, सोनपुर में 168, बनियापुर में 158, अमनौर में 130, जलालपुर में 126, दरियापुर में 120, मशरख में 120, इसुआपुर में 119, मांझी में 117, तरैया में 89, दिघवारा में 87, नगरा में 78, रिविलगंज में 73, एकमा में 69, पानापुर में 66, परसा में 63, मकेर में 61 जबकि सबसे कम लहलादपुर में 42 टीबी मरीजों का उपचार विभागीय स्तर पर किया जा रहा है।

- जिलेवासियों से यक्ष्मा विभाग ने किया अपील: 

निक्षय मित्र बनने के लिए  communitysupport.nikshay.in पर लॉगिन करने के बाद प्रधानमंत्री टीबी मुक्त अभियान पर क्लिक करने के बाद निक्षय मित्र के आवेदन पत्र पर क्लिक कर अपनी पूरी जानकारी देते हुए आसानी से इस अभियान के साथ जुड़ा जा सकता है। इसके अलावा भी कोई भी इच्छुक व्यक्ति या संस्था निक्षय मित्र बनने के लिए अपने नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान या संबंधित अधिकारियों से संपर्क कर सकता है। हालांकि जिले के 59 निक्षय मित्र के द्वारा मांझी, एकमा और जिला मुख्यालय में सबसे अधिक टीबी मरीजों के बीच फूड बास्केट का वितरण किया जा रहा है। जिसमें सबसे अधिक ठाकुर बाड़ी महिला विकास कल्याण समिति छपरा के द्वारा टीबी मरीजों को गोद लिया गया है।