पुरातात्विक स्थलचिरांद का होगा कायाकल्प N.H से पुरातात्विक स्थल तक बनेगा सड़क

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- बिहार सरकार के सचिव ने किया निरिक्षण।

डोरीगंज : विश्व के दुर्लभ पुरातात्विक स्थलों में से एक चिरांद को विकसित करने का प्रयास एक बार फिर जमीन पर दिखने लगा है। बिहार सरकार के कला संस्कृति एवं युवा विभाग के सचिव प्रणव कुमार ने आज मंगलवार को पुरातात्विक स्थल चिरांद का निरीक्षण किया। उनके साथ जिलाधिकारी अमन समीर, एसडीएम नीतीश कुमार, एडीएम, सीओ सदर तथा कला-संस्कृति विभाग के विमल तिवारी,हर्ष रंजन डोरीगंज थानाध्यक्ष दिलीप कुमार व पदाधीकारी उपस्थित थे।

गंगा, सरयुग और सोन नद के संगम पर स्थित चिरांद गंगा क्षेत्र में स्थित एक ऐसा पुरातात्विक स्थल है, जहाँ से नव पाषाण युग की पूर्ण विकसित सभ्यता के अवशेष मिले हैं। इसने प्राचीन भरता के इतिहास की समझ को नई दिशा दी है। यह ऐसा पुरातात्विक स्थल है जहाँ से नव पाषाण युग के बाद के सभी सभ्यता के प्रमाण मिले हैं। इस प्रकार यह पुरातात्विक स्थल मोहनजोदड़ो और हड्डपा जैसा महत्त्वपूर्ण है। इसके साथ ही रामायण में वर्णित तथ्यों के आधार पर यह कहा जाता है कि चिरांद रामयण परिपथ का एक महत्वपूर्ण और प्रामाणिक स्थल है। 

बाल्मीकि कृत रामायण में यह वर्णन मिलता है कि महर्षि विश्वामित्र राम और लक्षमण के साथ सरयुग के तट पर चलते हुए, इस तीन पवित्रतम नदियों के संगम पर पहुंचे थे। इसी स्थल पर विश्वामित्र ने श्रीराम को बाला अत्ति बला विद्या प्रदान किया था। जिसे वे सम्पूर्ण रूप से सुरक्षित हो गए थे। इस प्रकार यह स्थल रामायण के दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण एवं संरक्षण योग्य है। पहलीबार भारतीय पुरातत्व के पूर्व निदेशक डॉ बी० एस० वर्मा के निर्देशन में 1961 से लेकर 1971 के बीच इस स्थल की खुदाई की गई थी। यहाँ के भूगर्भ से प्रचुर मात्रा में निकले पुरातात्विक स्मारक चिन्हों से इतिहास में स्थापित मान्यतायें बदली थी। 

बिहार सरकार के सचिव ने चिरांद के अलावा करिंगा मकबरा एवं छपरा संग्रहालय का भी निरक्षण किया इस तीनो स्थलों को यथा शीघ्र संरक्षित और विकसित करने की योजना पर बहुत शीघ्र काम शुरू होने वाला है।जिसमे पुरातात्विक स्थल तक सम्पर्क सड़क, स्थल पर बने भवन व परिसर को विकसित करने आदि पर विचार विमर्श हुआ।इस अवसर पर चिरांद विकास परिषद् के सचिव श्रीराम तिवारी ने धार्मिक सांस्कृतिक एवं पुरातात्विक से अति महत्वपूर्ण इस स्थल के विकास से सम्वन्धित व्यावहारिक सुझाव दिए। इस स्थल तक पहुँचने के लिए सड़क नहीं है इसके साथ ही इस पुरातात्विक स्थल पर नदी से कटाव का खतरा अब भी विद्यमान है। चिरांद विकास परिषद् इस पुरातात्विक और सांस्कृतिक स्थल के विकास और संरक्षण को लेकर विगत बीस सैलून से कार्य कर रहा है। इसे विद्यालय और शिक्षण संस्थानों को जोड़ने का भी प्रयास किया जा रहा है।