चिकित्सक के पारिवारिक माहौल के कारण डॉ शिल्पी सिन्हा के व्यवहार से मरीजों की संख्या बढ़ी।

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- कायाकल्प के बाद राष्ट्रीय स्तर के प्रमाणीकरण के लिए चल रही है तैयारी।

- स्वास्थ्य विभाग के वरीय अधिकारियों द्वारा नयागांव अस्पताल को मिल चुकी है बधाई।

- मरीज़ों के साथ सहज एवं सुलभ तरीक़े से रहते हैं उपलब्ध: डीपीएम।

छपरा, 30 जून आज राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस यानी डॉक्टर्स डे है। पूरे देश में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन प्रत्येक वर्ष अलग- अलग थीम के तहत मनाए जाने की परंपरा है। हालांकि इस वर्ष "हीलिंग हैंड्स, केयरिंग हार्ट्स" यानी "उपचार करने वाले हाथ, देखभाल करने वाले हृदय" थीम द्वारा मनाया जाएगा। शायद कुछ इसी तरह से सारण की महिला चिकित्सक डॉ शिल्पी सिन्हा के हाथों में है। सोनपुर अनुमंडलीय अस्पताल के अंर्तगत आने वाले नयागांव बाजार स्थित हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर सह अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बीमारियों से परेशान होकर दिघवारा प्रखंड के सीतलपुर की रहने वाली पूजा देवी ने कहा कि हमलोगों को कोई भी बीमारी होती है तो यही पर आकर दिखाते है। क्योंकि मैडम के व्यवहार या बातचीत करने से ही आधी बीमारी ठीक हो जाती हैं लेकिन साथ में इनके द्वारा दी गई दवा नही बल्कि दुआ के बराबर होती हैं। शायद यही कारण है कि हमलोग इन्ही से दिखाने या कोई सलाह लेने के लिए सीतलपुर से नयागांव आना पड़ता है। 

नयागांव स्थित एपीएचसी की प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शिल्पी सिन्हा ने बताया कि चिकित्सक दंपति पिता डॉ एसपी सिन्हा और मम्मी डॉ रेखा प्रसाद की बेटी होने के कारण बचपन से मम्मी और पापा दोनों के सानिध्य में रहने का मौका मिला है। तो आस पड़ोस के किसी को भी कुछ होता था तो घर आकर दवा लेते थे। जिस कारण मम्मी या पापा हमसे दवा का नाम बोलकर देने को बोलते थे। तो बचपन में सोंचती थी कि आखिर इतनी छोटी सी दवा से बीमारी ठीक हो जाती है तो क्यों नही हम भी डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा करूं। फिर क्या था बचपन का सपना पूरा करने के लिए हमने भी पढ़ाई कर डॉक्टर बन गई। एक व्यक्ति जो बीमार लोगों का इलाज करने के लिए योग्य होता है। उसी को आधार मानकर अपनी सेवा करती हूं। पांच पंचायतों वाले क्षेत्र के अस्पताल में प्रत्येक महीने लगभग 800 से अधिक मरीजों का ओपीडी के माध्यम से इलाज़ किया जाता है। साथ ही सभी तरह की जांच के अलावा फाइलेरिया, कालाजार, टीबी सहित अन्य प्रकार की संक्रामक बीमारियों का इलाज़ के साथ ही जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है।

डॉ शिल्पी सिन्हा ने बताया कि अगस्त 2020 में सोनपुर के एपीएचसी नयागांव में अपनी सेवाएं दे रही हूं। लेकिन वर्ष 2021 में कोरोना संक्रमण का दूसरा लहर चल रहा था। अस्पताल से घर जाने के लिए समय नही मिलता था लेकिन बच्चों और घर परिवार से मिलने की बेताबी रहती थी। लेकिन जब भी घर जाती थी तो सभी से अलग रहना मजबूरी होता था लेकिन इसके बावजूद पति डॉ अमीश कुमार और सास ससुर कोविड- 19 के चपेट में आ गए थे। एक मां को अपने बच्चों से अलग रहना कितना सताता है। आप सभी समझ सकते है। दूसरे चरण वाले कोरोना संक्रमण के दौरान मेरी प्रतिनियुक्ति एएनएम स्कूल में कर दी गई थी। हालांकि बाद के दिनों में टीकाकरण के दौरान जिला से लक्ष्य दिया जाता था उससे कही ज्यादा लोगों को टीकाकृत कर ग्रामीणों को सुरक्षित करने में हम लोग अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया है।

सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि वर्तमान समय में स्वास्थ्य सेवा पहले से कहीं ज़्यादा जटिल हो गई है। अपनी उंगलियों पर ज़्यादा से ज़्यादा प्रगति, उपकरण और जानकारी के साथ, चिकित्सकों के पास प्रत्येक दिन अपने रोगियों का निदान और उपचार करने का एक ज़बरदस्त काम रहता है। जिस कारण यह उन लोगों को सम्मानित करने का दिन है जो साल के 365 दिन हम सभी के साथ रहते हैं। ग्रामीण समुदायों में चिकित्सक अपने रोगियों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवा का मार्ग प्रशस्त करते हैं। दिघवारा के सीमावर्ती क्षेत्रों के मरीजों की संख्या अत्यधिक होती है। सहज एवं सुलभ व्यवहार अपनाते हुए क्षेत्र में हर समय उपस्थित दर्ज करती हैं। शायद यही कारण है कि कोई भी मरीज या अभिभावक इनसे उपचार के लिए सलाह मशवरा लेने के साथ ही पूरी तरह से आश्वस्त होकर ही जाते हैं।

वहीं अनुमंडलीय अस्पताल सोनपुर की प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ पूनम कुमारी का कहना है कि मानव जीवन में चिकित्सकों की भूमिका बहुत खास होती है। हमारे समाज में उनलोगो को भगवान से कम नहीं समझा जाता है। क्योंकि भगवान की तरह डॉक्टर भी एक व्यक्ति को नया जीवन देने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। छोटी छोटी बीमारियों का इलाज समय रहते कर दिया जाए तो हर किसी की ज़िंदगी बचाकर उसको नया जीवनदान दिया जा सकता है। स्थानीय नयागांव एपीएचसी में लगभग 15 कर्मी उपस्थित रहते हैं। सबसे अहम बात यह है कि यहां पर प्रत्येक महीने एक जीएनएम और दो एएनएम के द्वारा 5 से 10 संस्थागत प्रसव कराया जाता है। लेकिन उच्च जोखिम वाले गर्भवती महिलाओं को सोनपुर भेज दिया जाता है। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह या राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद यादव द्वारा औचक निरीक्षण के दौरान यहां की व्यवस्था को देख कर तारीफ भी कर चुके है।

- मरीज़ों के साथ सहज एवं सुलभ तरीक़े से रहते हैं उपलब्ध: डीपीएम।

जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम अरविंद कुमार ने बताया कि एपीएचसी नयागांव के एमओआईसी डॉ शिल्पी सिन्हा ने वैश्विक महामारी कोविड- संक्रमण काल के दौरान जागरूकता के साथ ही टीकाकरण कार्य में अपनी महत्ती भूमिका निभाई है। जिस कारण शत प्रतिशत लक्ष्य को पूरा किया गया है। अपने कार्य को जिम्मेदारियों के साथ निर्वहन करने के साथ ही अपनी कर्मठता से पूरी टीम को साथ लेकर चलने के कारण जिला या अनुमंडलीय अस्पताल से मिलने वाली लक्ष्य को पूरा करने में हर संभव प्रयासरत रहती हैं। क्योंकि सभी के साथ समन्वय स्थापित कर मुश्किल से मुश्किल कार्यो को निबटाते हुए ऐसा माहौल बना देती हैं कि मरीज़ों की आधी बीमारी ख़त्म हो जाती है। शायद यही कारण है कि सुदूर ग्रामीण इलाकों की महिलाएं बगल के सोनपुर या दिघवारा नही जाकर छोटे से अस्पताल में जाना पसंद करती है। साफ सफाई और सरल व्यवहार के कारण वर्ष विभाग द्वारा 2022- 23 और 2023- 24 में कायाकल्प अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। लेकिन अब राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक से प्रमाणीकरण के लिए तैयारी चल रही है।