सारण के 16 आयुष्मान आरोग्य मंदिरों का हुआ राष्ट्रीय गुणवत्ता राज्यस्तरीय प्रमाणीकरण

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स्वास्थ्य केंद्रों उपलब्ध सुविधाओं के आधार होती है रैंकिंग

अब नेशनल असेस्मेंट के लिए किया जायेगा आवेदन

नेशनल सर्टिफिकेशन के लिए 70प्रतिशत अंक अनिवार्य

नेशनल प्रमाणीकरण पर मिलेगा नगद राशि

छपरा। जिले के सुदुर ग्रामीण क्षेत्रों के मरीजों को उच्च गुणवत्ता पूर्ण स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध है। ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित आयुष्मान आरोग्य मंदिरों (हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों) पर मरीजों को उच्च गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं दी जा रही है। गुणवत्ता में सुधार के लिए स्वास्थ्य केंद्रों का राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक के तहत प्रमाणीकर किया जा रहा है। इसी कड़ी में जिले के विभिन्न प्रखंडों के कुल 16 आयुष्मान आरोग्य मंदिरों का राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक के तहत राज्यस्तरीय सर्टिफिकेशन मिला है। सभी केंद्रों को 70 प्रतिशत से अधिक अंक मिला है। मकेर प्रखंड के बाघाकोल आयुष्मान आरोग्य मंदिर को जिले में सबसे अधिक 90 प्रतिशत अंक मिला है। वहीं दरियापुर के सुतिहार को 82 प्रतिशत तथा गड़खा प्रखंड के नराव के आयुष्मान आरोग्य मंदिर को 80 प्रतिशत अंक मिला है। अन्य सभी सेंटरों को 70 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल हुआ है। 

कई मानकों पर विशेषज्ञ टीम करती है मूल्यांकन:

सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक प्रमाण-पत्र प्रदान करने के लिए विशेषज्ञों की टीम द्वारा आयुष्मान आरोग्य मंदिर की सेवाओं और संतुष्टि स्तर का विभिन्न मानकों पर मूल्यांकन किया जाता है। इनमें उपलब्ध सेवाएँ, मरीजों के अधिकार, इनपुट, सपोर्ट सर्विसेस, क्लिनिकल सर्विसेस, इन्फेक्शन कंट्रोल, गुणवत्ता प्रबंधन और आउटकम जैसे पैरामीटर शामिल हैं। प्रमाणीकरण के लिए कम से कम 70 प्रतिशत अंक अनिवार्य होता है। इन कड़े मानकों पर खरा उतरने वाले आयुष्मान आरोग्य मंदिर को ही गुणवत्ता प्रमाण-पत्र जारी किये जाते हैं।

गुणवत्ता का आकलन करने और उसे सुधारने के लिए प्रेरित करना एनक्यूएएस का उद्देश्य:

जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीसी रमेश चंद्र कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक का उद्देश्य सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को वैश्विक सर्वोत्तम मानकों के अनुरूप ढालना है। इसके तहत स्वास्थ्य केंद्रों के लिए पूर्व निर्धारित मानकों के आधार पर मूल्यांकन किया जाता है। इन मानकों में साफ-सफाई, मरीजों को मिलने वाली सुविधाएं, उपकरणों की स्थिति, उपचार की प्रक्रिया और रोगियों की संतुष्टि शामिल हैं। साथ ही, मानक संचालन प्रक्रियाओं और प्रोटोकॉल के पालन की भी जांच की जाती है। एनक्वास का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य केंद्रों को अपनी गुणवत्ता का आकलन करने और उसे सुधारने के लिए प्रेरित करना है, ताकि नागरिकों को उच्चतम स्तर की चिकित्सा सेवाएं मिल सकें।

नेशनल सर्टिफिकेट के लिए सक्षम पोर्टल के माध्यम से अप्लाई:

डीपीएम अरविन्द कुमार ने बताया कि जिले के 16आयुष्मान आरोग्य मंदिर (एचडब्ल्यूसी) अब रज्य स्तर से एनक्वास प्रमाणित हो गया है। खुशी की बात है। इसमें सभी स्वास्थ्यकर्मियों का योगदान महत्वपूर्ण है। राज्य स्तरीय सर्टिफिकेट होने के बाद नेशनल सर्टिफिकेट के लिए सक्षम पोर्टल के माध्यम से अप्लाई किया जाएगा। केंद्रीय टीम की ओर से वर्चुअल या फिजिकल मोड में असेसमेंट किया जाएगा। 70% से ऊपर स्कोर मिलने पर नेशनल सर्टिफिकेट मिलेगा। इसके बाद प्रतिवर्ष इस हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर को 1.26 लाख रुपए की राशि दी जाएगी जिसे एचडब्ल्यूसी के उन्नयन में खर्च किया जाएगा।