"परिवार नियोजन के अनेक उपाय, जो मन भाएं वही अपनाएं" स्लोगन के तहत कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ।

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- वर्ष 2030 तक mCPR को 65% तक पहुंचाना ही सरकार का महत्वपूर्ण लक्ष्य: जिलाधिकारी।

- गर्भ निरोधक के उपयोग से मातृ मृत्यु की संख्या में लगभग 20% से 30% की कमी लाना इसका मुख्य उद्देश्य: सिविल सर्जन।

- समुदाय में युवा दंपतियों के बीच पहले गर्भधारण में देरी तथा दो बच्चों में 3 साल का अंतराल के लाभ को लेकर जागरूकता करना पहली प्राथमिकता: डीपीएम।

- सदर अस्पताल में परिवार नियोजन सलाहकार द्वारा धात्री और गर्भवती महिलाओं को दिया जाता है उचित परामर्श: अस्पताल प्रबंधक।

छपरा, 12 जुलाई पूरे राज्य मे विश्व जनसंख्या दिवस के अंतर्गत लोगों में गर्भावस्था का स्वस्थ समय और अंतराल को लेकर जागरूकता उत्पन्न करना, परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत उपलब्ध सेवाओं की जानकारी समुदाय तक पहुंचाना तथा योग्य दंपतियों को इच्छित सेवा यथा- कॉपर- टी, गर्भ निरोधक- सुई, महिला बंध्याकरण, पुरुष नसबंदी के अलावा अन्य अस्थायी गर्भनिरोधक साधन जैसे- गर्भ निरोधक गोली (माल-एन, छाया) और कंडोम की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। जिसको लेकर जिलाधिकारी अमन समीर ने बताया कि बिहार में प्रजनन उम्र (15- 49 वर्ष) की विवाहित महिलाओं के बीच आधुनिक गर्भ निरोधक का प्रचलन मध्यम कार कार्यक्रम की समीक्षा यानी (MCPR) में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 

मध्यम कार कार्यक्रम की समीक्षा- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-4) 2015- 16 में 23. 3% से बढ़कर NFHS- 5 2019- 20 में 44.4% हो गया है। इन सभी प्रयासों से बिहार सरकार का महत्वपूर्ण लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक mCPR को 65% तक पहुंचाना है। जिसको लेकर सदर अस्पताल स्थित ओपीडी के सभागार में गर्भवती और धात्री महिलाओं को अस्थाई साधनों से संबंधित परिवार नियोजन के अनेक उपाय, जो मन भाएं वही अपनाएं स्लोगन पढ़ कर सुनाने के बाद कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।

सदर अस्पताल परिसर से सुबह में एएनएम स्कूल और पैरामेडिकल संस्थान के छात्र और छात्राओं द्वारा प्रभात फेरी निकाली गई। जिसको डीसीएम ब्रजेंद्र कुमार सिंह, अस्पताल प्रबंधक राजेश्वर प्रसाद द्वारा संयुक्त रूप से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। जो अस्पताल से नगर थाना चौक से वापस अस्पताल परिसर में समाप्त हुआ। इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा, सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ आरएन तिवारी, डीपीएम अरविंद कुमार, अस्पताल प्रबंधक राजेश्वर प्रसाद, लेखापाल बंटी रजक, सिफार के डीपीसी धर्मेंद्र रस्तोगी, पीरामल स्वास्थ्य के अरविंद कुमार, आईपास के शंकर दयाल सिंह, परिवार नियोजन सलाहकार बबिता कुमारी, स्टाफ नर्स संगीता और प्रतिमा के अलावा कई अन्य अधिकारी और कर्मी उपस्थित थे।

- गर्भ निरोधक के उपयोग से मातृ मृत्यु की संख्या में लगभग 20% से 30% की कमी लाना इसका मुख्य उद्देश्य: सिविल सर्जन।

सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने कहा कि बिहार में परिवार नियोजन एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जो राज्य के सामाजिक और आर्थिक विकास से सीधे जुड़ा हुआ है। परिवार नियोजन महिलाओं को यह अधिकार देता है कि उनके कब और कितने बच्चे होने चाहिए। क्योंकि परिवार नियोजन के कई लाभ हैं, जिनमें माता और बच्चों का बेहतर स्वास्थ्य, गरीबी में कमी और बेहतर शिक्षित आबादी शामिल है। गर्भ निरोधक का उपयोग महिलाओं के लिए विशेष रूप से युवा दंपतियों, कम बच्चों वाली महिलाओं में गर्भावस्था से संबंधित स्वास्थ्य जोखिमों को रोकता है। यह स्वास्थ्य के अलावा कई अन्य प्रकार से लाभ प्रदान करता है, जिसमें उच्च शिक्षा के अवसर, महिलाओं का सशक्तिकरण, सतत जनसंख्या वृद्धि, व्यक्तियों और समुदाय के लिए आर्थिक विकास इत्यादि शामिल है। पहला गर्भधारण 20 वर्ष की उम्र में तथा दो बच्चों मे 3 साल का अंतराल होने से मां और बच्चों के स्वास्थ्य को भी लाभ मिलता है।  वही गर्भनिरोधक के उपयोग से मातृ मृत्यु की संख्या में लगभग 20% से 30% की कमी हो सकती है।

- समुदाय में युवा दंपतियों के बीच पहले गर्भधारण में देरी तथा दो बच्चों में 3 साल का अंतराल के लाभ को लेकर जागरूकता करना पहली प्राथमिकता: डीपीएम।

जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम अरविंद कुमार ने कहा कि राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक द्वारा जारी दिशा निर्देश के आलोक में परिवार नियोजन पखवाड़ा को लेकर जिला, प्रखंड एवं पंचायत स्तर पर विभिन्न तरह के गतिविधियों की रूपरेखा तैयार की गई है। जिसमें जिला और प्रखंड स्तर पर बैठकों का आयोजन, ई- रिक्शा का संचालन एवं चयनित प्रखंडों के दुर्गम क्षेत्रों तथा उपेक्षित मोहल्ला में पीरामल स्वास्थ्य के सहयोग से ग्राम चौपाल का आयोजन किया जाएगा। हालांकि ग्राम चौपाल, सामुदायिक स्तर का एक सहयोगात्मक प्रयास है। जिसमें स्वयं सहायता समूह, पंचायती राज संस्थान, स्थानीय गैर सरकारी संगठन, स्थानीय मीडिया और स्वास्थ्य कार्यकर्ता शामिल हैं। इसका मुख्य उद्देश्य समुदाय में योग्य दंपति खासकर युवा दंपतियों के बीच पहले गर्भधारण में देरी तथा दो बच्चों में 3 साल का अंतराल के लाभ एवं सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों पर परिवार नियोजन सेवाओं की उपलब्धता के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।