छोटे बच्चे का आहार क्रियान्वयन के लिए सारण और गोपालगंज में दो दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित।

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आरपीएमयू द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यशाला में नवजात शिशुओं को स्तनपान कराने से संबंधित प्रशिक्षकों द्वारा सभी प्रतिभागियों को किया गया प्रशिक्षित: 

सारण। छपरा, 18 दिसंबर स्वास्थ्य संस्थानों में जन्म लेने वाले नवजात शिशुओं को एक घंटे के अंदर स्तनपान कराते हुए छः माह तक केवल स्तनपान कराने और छः माह बाद के शिशुओं के आहार क्रियान्वयन की जानकारी होनी चाहिए। उक्त बातें क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक प्रशांत कुमार ने सदर अस्पताल परिसर स्थित क्षेत्रीय प्रशिक्षण संस्थान के सभागार में आयोजित आरएमएनसीएचए+एन के परामर्शियों को संबोधित करते हुए कहा। आगे उन्होंने कहा कि जन्म के एक घंटे के अंदर नवजात को स्तनपान शुरू कराने से शिशु मृत्यु दर में 20 प्रतिशत तक की कमी लाने के साथ ही छह माह तक शिशु को केवल स्तनपान कराने से दस्त और निमोनिया के खतरे में क्रमशः 11 प्रतिशत और 15 प्रतिशत कमी लायी जा सकती है। हालांकि अधिक समय तक स्तनपान करने वाले बच्चों की बुद्धि उन बच्चों की अपेक्षा तीन पॉइंट अधिक होती है, जिन्हें मां का दूध थोड़े समय के लिए मिलता हैं। बच्चों के बेहतर स्वास्थ के लिए उनके आहार क्रियान्वयन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अस्पताल में बच्चों के जन्म के बाद से उनके आहार के लिए परिजनों को जागरूक करने के लिए जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों के प्रसव कक्ष में कार्यरत प्रजनन, मातृ, नवजात, बाल, किशोर स्वास्थ्य और पोषण (आरएमएनसीएचए+एन) के 22 (सारण के 13 जबकि गोपालगंज के 09) परामर्शियों को दो दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया।

क्षेत्रीय स्वास्थ्य अपर निदेशक डॉ सागर दुलाल सिंहा ने बताया कि बच्चों के स्वास्थ्य का विकास जन्म के बाद उन्हें दिए जा रहे आहार पर निर्भर करता है। जन्म के तुरंत बाद से अगले छः माह तक उन्हें केवल मां का दूध हीं पिलाना चाहिए। क्योंकि बच्चों को जन्म के बाद एक घंटे के अंदर मां का दूध पिलाने से उनके स्वास्थ्य का विकास तीव्र गति से होता है। बच्चों को विभिन्न बीमारियों से सुरक्षित रखने के लिए उन्हें छः माह तक केवल स्तनपान और छः माह बाद से अगले दो साल तक स्तनपान के साथ अतिरिक्त आहार का सेवन कराने से बच्चों के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। इसलिए स्वास्थ्य संस्थान में कार्यरत विभागीय स्तर पर परामर्शी द्वारा अस्पताल में जन्म लेने वाले बच्चों के परिजनों को जागरूक किया जाता है। इसके साथ- साथ एएनएम द्वारा नियमित टीकाकरण के दौरान भी टीकाकरण के लिए उपस्थित लोगों को बच्चों के आहार प्रणाली के लिए जागरूक करना चाहिए जिससे कि बच्चों को सही आहार मिले और बच्चे तंदुरुस्त एवं स्वास्थ रह सकें। बच्चों के आहार को बढ़ावा देने के लिए माता और पिता के अलावा परिजनों को जागरूक करने की आवश्यकता है। 

इन दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला में डॉ कविता सिंह, डॉ निशा कुमारी, डॉ आशुतोष प्रकाश और नर्सिंग ट्यूटर दीपिका कुमारी द्वारा प्रशिक्षण शिविर के दौरान उपस्थित सभी प्रतिभागियों को शिशु एवं छोटे बच्चों के लिए सर्वोत्तम आहार पूर्ति के लाभ, मां के दूध का बनना और शिशु द्वारा ग्रहण करना, स्तनपान का मूल्यांकन और निरीक्षण, सुनना और सीखना, मां का आत्मविश्वास बढ़ाना, समर्थन देना और समझ को मूल्यांकन करना, शिशु को स्तन से लगाने की स्थिति, स्तन की अवस्थाएं से संबंधित प्रशिक्षित किया गया जबकि दूसरे दिन हाथ से मां का दूध निकालना, पर्याप्त दूध नहीं होने का अहसास, जन्म से कम वजन वाले शिशुओं का स्तनपान कराना, पूरक आहार या पोषण की कमी को पूरा करने वाले खाद्य पदार्थ, कामकाजी महिलाओं द्वारा स्तनपान, विषय परिस्थितियों में स्तनपान, बच्चों के वृद्धि और माप पर निगरानी करने को लेकर प्रशिक्षित किया जाएगा।  इस दौरान क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधन इकाई की ओर से आरपीएम प्रशांत कुमार, लेखा प्रबंधक विजय कुमार राम, प्रमंडलीय आशा समन्वयक संतोष कुमार सिंह, क्षेत्रीय बायो मेडिकल इंजीनियर साबित्री पंडित, कार्यालय सहायक मनोज कुमार, आरपीएमयू कर्मी अंकूर कुमार और रंजय सहित कई अन्य लोग उपस्थित थे।