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प्राचीन ऐतिहासिक सभ्यता को आज तक अपने गोद मे समेटे पर्यटन स्थल के रुप मे विकसित होने को ललाईत रही है सारण की ऐतिहासिक और धार्मिक नगरी चिरांद ।यह स्थल न सिर्फ भारतीय नागरिको के लिए अपितु विदेशियों के लिए भी आकर्षण का केन्द्र है।इसी ऐतिहासिक नगरी मे गंगा महाआरती का आयोजन आगामी 22 जून को प्रस्तावित है।चिरान्द का गंगा तट संगम तट के रुप मे सुविख्यात है।
रविवार को चिरांद तिवारी घाट स्थित श्रीराम तिवारी के आवासीय परिसर में गंगा महाआरती को लेकर बैठक आयोजित किया गया।इस बैठक में चिरांद विकास परिषद व गंगासमग्र के सदस्यों नें संयुक्त रुप से हिंस्सा लिया।बैठक में आगामी 22 जून को गंगा आरती व गंगाबचाओ संकल्प समारोह कराने का निर्णय लिया।
गंगा महाआरती व गंगाबचाओ संकल्प समारोह में वाराणसी के ग्यारह आचार्य बटुक भाग लेंगे। आरती के समय शंकर के डमरू, शंख, मृदंग बजाने वाले महाआरती में आकर्षण के केंद्र होंगे।हर तरह से लोगों के अविरल गंगा को बंचाने व उन्हे निर्मल बनाने हेतु भाव, नृत्य संवोधन, नाटक पर बल दिया गया। बैठक मे विधि व्यवस्था मुख्य अतिथि आदि पर चर्चा की गई। बैठक की अध्यक्षता चिरांद विकास परिषद के वरिष्ठ सदस्य तारकेश्वर सिंह द्वारा की गई।
परिषद के सचिव श्रीराम तिवारी ने माता गंगा की चर्चा करते हुए बताया कि गंगा मात्र नदी ही नहीं, एक संस्कृति है क्योंकि भारत की संस्कृति नदियों के किनारे ही विकसित हुई। गंगा नदी भारतवासियों के विचार, व्यवहार, धर्म-कर्म और परंपरा में हमेशा प्रवाहित होती रहती है। गंगा का प्रवाह वह जीवनधारा है, जो सदा बहने यानि जीवन में कर्म करते रहने, परोपकार और पवित्रता की भावना पैदा करती है। इसलिए हम सभी का कर्तव्य बनता है कि गंगा की निर्मलता बनाए रखने के लिए नदी किनारे वृक्षारोपण,जैविक खेती आदि करें ताकि मां की अविरलता बनी रहे। अगली बैठक अगले रविवार को होगी विधि व्यवस्था आदि पर चर्चा होगी. बैठक में गंगासमग्र के जिलासंयोजक डाॅ कुमारी किरणसिंह ,सह संयोजक राशेश्वरसिंह, श्रीकांत पांडेय,मोहन पासवान, जय दिनेश पांडे, राजकिशोरचौरसिया, शुशील पाण्डेय,ललन भक्त,शत्रुघ्न माझी,जयराम राय,भरथ पासवान,चंदन कुमार, सहित अन्य मौजूद रहे।