आई पास से सुरक्षित गर्भपात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एमटीपी एक्ट को लेकर प्रशिक्षण आयोजित।

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- एमटीपी एक्ट- 1971 के प्रावधानों के अनुसार गर्भ समापन कई शर्तों के साथ माना गया वैध: डॉ सागर दुलाल सिंहा।

- सुरक्षित गर्भ समापन प्रशिक्षण का मातृ मृत्यु दर को कम करना मुख्य उद्देश्य।

छपरा, 17 दिसंबर सुरक्षित गर्भपात को बढ़ावा देने तथा सामुदायिक स्तर पर जागरूकता लाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सकों व ग्रामीण स्तर की महिला कार्यकर्ताओं को एमटीपी एक्ट से संबंधित प्रशिक्षण देकर उनका क्षमतावर्धन किया जा रहा है। इस संबंध में क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक (आरपीएम) प्रशांत कुमार ने बताया कि सदर अस्पताल सिवान की महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ वंदना वर्षा और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जिरादेई की महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रेखा पाण्डेय के अलावा सारण जिले के नगरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सौरभ राज को छपरा सदर अस्पताल की महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ किरण ओझा, डॉ आकृति प्रसाद और डॉ भारती सिंह के द्वारा संयुक्त रूप से सुरक्षित गर्भ समापन एमटीपी एक्ट- 1971 को लेकर प्रशिक्षित किया जा रहा है। तीनों महिला चिकित्सा पदाधिकारियों को 12 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आईपास के सहयोग संचालित किया जा रहा है। जबकि छह दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत सदर अस्पताल सिवान की जीएनएम शोभा कुमारी, पीएचसी जिरादेई की जीएनएम संध्या कुमारी और पीएचसी नगरा की जीएनएम प्रिय केसरवानी को 16 से 21 तक प्रशिक्षित किया जा रहा है। इस अवसर पर क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधन इकाई के अधिकारी और कर्मियों सहित कई अन्य स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित रहे।

एमटीपी एक्ट- 1971 के प्रावधानों के अनुसार गर्भ समापन कई शर्तों के साथ माना गया वैध: अपर स्वास्थ्य निदेशक 

क्षेत्रीय स्वास्थ्य अपर निदेशक डॉ सागर दुलाल सिंहा ने बताया कि वर्ष 1971 से पूर्व किसी भी प्रकार का गर्भ समापन अवैध माना जाता था। क्योंकि महिलाओं को गर्भ समापन में बहुत ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। जिस कारण घरेलू उपायों से गर्भ समापन करने की प्रक्रिया में महिलाओं की मृत्यु तक हो जाती थी। जिसको रोकने के लिए वर्ष 1971 में एमटीपी एक्ट बना। इसके बाद से सुरक्षित गर्भ समापन की प्रक्रिया शुरू हुई। अज्ञानता के कारण तथा सरकारी अस्पतालों में सुविधा नहीं होने के कारण गर्भवती महिलाओं की मृत्यु दर में कमी नहीं हो रही थी। लेकिन अब एमटीपी एक्ट- 1971 के प्रावधानों के अनुसार गर्भ समापन कई शर्तों के साथ वैध माना गया है। हालांकि इससे भी समस्या का समाधान नहीं हो रहा था। इसलिए एमटीपी एक्ट में संशोधन किया गया। जिसमें 20 से लेकर 24 सप्ताह तक के गर्भ को नियम सुसंगत शर्तों के अनुसार समापन कराया जा सकता है। 

आईपास के क्षेत्रीय समन्वयक श्याम कुमार ने बताया कि क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधन इकाई (आरपीएमयू) द्वारा सदर अस्पताल परिसर स्थित क्षेत्रीय प्रशिक्षण संस्थान के सभागार में सुरक्षित गर्भ समापन को लेकर (16 से 27 दिसंबर) 12 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया है। इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य मातृ मृत्यु दर को कम करना है। क्योंकि असुरक्षित गर्भपात के कारण जिस महिला की मृत्यु हो जाती है। भारत सरकार द्वारा एमटीपी एक्ट- 1971 के तहत वर्ष 2021 में एक संशोधन किया गया है। जिसके अनुसार अब 20 -24 सप्ताह के तक विशेष श्रेणी की गर्भवती महिलाओं का 24 सप्ताह तक गर्भ समापन किया जा सकता है। पर्याप्त भ्रूण विकृति के मामले में गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय गर्भ समापन को स्वास्थ्य विभाग द्वारा गठित टीम की स्वीकृति द्वारा अनुमोदित के बाद ही मान्य किया गया है। किसी भी महिला या उसके साथी के द्वारा प्रयोग किए गए गर्भ निरोधक तरीके की विफलता की स्थिति में अविवाहित महिलाओं को भी गर्भ समापन की सुविधा दिया जा सकता है। 20 सप्ताह तक एमटीपी के लिए एक आरएमपी और 20 से 24 सप्ताह के लिए दो आरएमपी की आपसी समन्वय बेहद जरूरी होता हैं।